अस्थमा में श्वसन व्यायाम

अस्थमा में श्वसन व्यायाम अस्थमा एक ऐसी श्वसन स्थिति है जिसमें फेफड़ों की वायु नलिकाएं संकीर्ण हो जाती हैं, जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत होती है। इस स्थिति में श्वसन व्यायाम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये व्यायाम फेफड़ों को मजबूत करते हैं और सांस लेने की क्षमता बढ़ाते हैं, जिससे अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इस लेख में, हम अस्थमा के लक्षणों, कारणों और श्वसन व्यायाम के प्रकारों पर चर्चा करेंगे जो अस्थमा रोगियों के लिए उपयोगी हो सकते हैं।

अस्थमा में श्वसन व्यायाम

अस्थमा के लक्षण

– बार-बार होने वाली खांसी – सीने में जकड़न और दर्द – सांस लेने में कठिनाई – व्यायाम के दौरान सांस फूलना – रात में या सुबह जल्दी खांसी और सांस की तकलीफ

अस्थमा के कारण

अस्थमा के कारण हो सकते हैं:

  • वायुमंडलीय एलर्जेंस
  • धूम्रपान और वायु प्रदूषण
  • आनुवांशिक प्रवृत्ति
  • शारीरिक व्यायाम के बाद
  • अत्यधिक भावनात्मक उत्तेजना
  • कुछ दवाइयों और खाद्य पदार्थों का सेवन

अस्थमा में श्वसन व्यायाम

अस्थमा के लिए श्वसन व्यायाम में शामिल हैं: – दीप ब्रीथिंग या डायाफ्रामेटिक ब्रीथिंग: यह तकनीक फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाती है और श्वास को नियंत्रित करती है। – पर्स्ड लिप ब्रीथिंग: इससे श्वास की गति धीमी होती है और एयरवेज को खोलने में मदद मिलती है। – भस्त्रिका (बेलोज ब्रीथिंग): योगिक श्वास तकनीक जो फेफड़ों को सक्रिय करती है। – अनुलोम विलोम: यह प्राणायाम तनाव को कम करता है और श्वास को संतुलित करता है। – श्वसन प्रतिरोध व्यायाम: ये व्यायाम श्वास लेने की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं। रोगियों को ये व्यायाम नियमित रूप से करने चाहिए और डॉक्टर की सलाह के अनुसार उपचार जारी रखना चाहिए। सारांश में, अस्थमा के रोगियों के लिए श्वसन व्यायाम बेहद लाभकारी होते हैं। ये न सिर्फ श्वसन पथ को मजबूत बनाते हैं बल्कि व्यक्ति को गहरी और नियंत्रित सांस लेने में मदद करते हैं। इन तकनीकों का अभ्यास करने से अस्थमा के लक्षणों को कम किया जा सकता है और रोगी की जीवनशैली में सुधार हो सकता है।

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